शनिवार शाम को शिवसेना के दोनों धड़ों—एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे—ने अपनी-अपनी दशहरा रैलियों में एक-दूसरे पर जमकर प्रहार किए। दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी रैलियों में जनता के सामने विरोधी गुट पर आरोप लगाए, जहां धारावी पुनर्वास योजना और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा का केंद्र बने रहे।
धारावी पुनर्वास पर एकनाथ शिंदे का दावा
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने धारावी पुनर्वास योजना को अपने शासन की एक बड़ी सफलता के रूप में प्रस्तुत किया।
- शिंदे ने कहा, “मुख्यमंत्री बनने के बाद, हमने धारावी के 2.10 लाख निवासियों के पुनर्वास की योजना को हरी झंडी दी।”
- उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा, “आप 25 साल सत्ता में रहे, लेकिन कभी भी धारावी के लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता नहीं दी।”
- शिंदे ने यह भी आरोप लगाया कि ठाकरे ने अपने कार्यकाल में कई बंगले बनाए, जबकि धारावी के निवासी झुग्गियों में जीवन यापन कर रहे थे।
उद्धव ठाकरे का धारावी को “बेचने” का आरोप
- शिवाजी पार्क, दादर में आयोजित अपनी रैली में उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार पर तीखा हमला बोला।
- ठाकरे ने शिंदे पर धारावी को अडानी समूह को “बेचने” का आरोप लगाते हुए कहा कि “सरकार ने धारावी को व्यवसायियों के हाथों में सौंप दिया।”
- ठाकरे ने कहा, “हमने धारावी के लिए संघर्ष किया, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे केवल व्यावसायिक हितों के लिए इस्तेमाल किया।”
‘वोट जिहाद’ के जवाब में ‘सत्ता जिहाद’
- उद्धव ठाकरे ने भाजपा द्वारा लगाए गए ‘वोट जिहाद’ के आरोपों का जवाब देते हुए ‘सत्ता जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया।
- भाजपा ने कहा था कि शिवसेना (यूबीटी) को हालिया चुनावों में अल्पसंख्यक समुदाय का भारी समर्थन मिला।
- ठाकरे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारी पार्टी सभी धर्मों और जातियों का आदर करती है, और इस राजनीति को ‘सत्ता जिहाद’ कहना बिल्कुल गलत है।”
शिवाजी महाराज के मंदिरों का निर्माण
- ठाकरे ने यह वादा किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो वे महाराष्ट्र के हर जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित मंदिरों का निर्माण करवाएंगे।
- उन्होंने कहा, “शिवाजी महाराज हमारी संस्कृति और इतिहास का प्रतीक हैं, और उनका सम्मान करने के लिए यह हमारी जिम्मेदारी है।”
सुप्रीम कोर्ट से निष्पक्ष फैसले की अपील
- ठाकरे ने भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में निष्पक्ष निर्णय लेने की अपील की।
- उन्होंने कहा, “अगर सही फैसला नहीं आया, तो जनता का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ सकता है।”
- ठाकरे ने जोर देते हुए कहा, “यह केवल राजनीति नहीं है, यह देश की न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास का भी सवाल है।”
निष्कर्ष
दशहरा की इन रैलियों ने शिवसेना के दोनों गुटों के बीच गहरे मतभेदों को उजागर कर दिया। एकनाथ शिंदे ने जहां अपने कामकाज को लेकर समर्थन जुटाने की कोशिश की, वहीं उद्धव ठाकरे ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए। दोनों नेताओं ने अपने-अपने एजेंडे और भविष्य की योजनाओं को जनता के सामने रखा, लेकिन इसका परिणाम समय ही बताएगा कि कौन जनता का विश्वास जीतने में कामयाब होगा।